घरति पर गणेशोत्सव संपन्न हुआ और श्री गणेश जी कैलाश पर्वत पर पहुँचे।
माता पार्वती ने पूछा---" कैसा रहा उत्सव का माहौल ? "
गणेश जी---" ऐ मोरुडा फागण मिने मिठो मिठो बोलियो रे।।।। "
माता पार्वती---" अरे, ये क्या बोलते हो ? "
गणेश जी---" अरे अमलिडो अमलिडो अमलिडो भोलो सन्ता ने लागे वालो अरे नाग तिरस् वा वालो ओ बाबो भोलो अमलीडो ।।।।"
रिद्धी ---" अरे, ये क्या है ??? "
गणेश जी---" ले नाच.. ले नाच.. ले नाच मारी बींदणी भंडारा में डीजे बाजे नाच ....."
सिद्धि -- अरे किया हुआ स्वामी ?????
गणेश जी --- ओ ढकण खोल दे .. ऐ ढकण खोल दे कलाली थारी बोतल को दारू रे पियाला मैं तो थारे घर को।।।
शंकर जी---" ......आजकल टाबरा ने घरति पर भेजण को ज़माना ही कोनी रियो। "
माता पार्वती ने पूछा---" कैसा रहा उत्सव का माहौल ? "
गणेश जी---" ऐ मोरुडा फागण मिने मिठो मिठो बोलियो रे।।।। "
माता पार्वती---" अरे, ये क्या बोलते हो ? "
गणेश जी---" अरे अमलिडो अमलिडो अमलिडो भोलो सन्ता ने लागे वालो अरे नाग तिरस् वा वालो ओ बाबो भोलो अमलीडो ।।।।"
रिद्धी ---" अरे, ये क्या है ??? "
गणेश जी---" ले नाच.. ले नाच.. ले नाच मारी बींदणी भंडारा में डीजे बाजे नाच ....."
सिद्धि -- अरे किया हुआ स्वामी ?????
गणेश जी --- ओ ढकण खोल दे .. ऐ ढकण खोल दे कलाली थारी बोतल को दारू रे पियाला मैं तो थारे घर को।।।
शंकर जी---" ......आजकल टाबरा ने घरति पर भेजण को ज़माना ही कोनी रियो। "